Sunday, 20 December 2015

Author:कबीरदास
पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन आवे हाँसी।

आतम ज्ञान बिना नर भटके, कोई मथुरा कोई काशी।
मिरगा नाभि बसे कस्तूरी, बन बन फिरत उदासी।।
पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन आवे हाँसी।।

जल-बिच कमल कमल बिच कलियाँ तां पर भँवर निवासी।
सो मन बस त्रैलोक्य भयो हैं, यति सती सन्यासी।
पानी में मीन पियासी, मोहि सुन-सुन आवे हाँसी।।

है हाजिर तेहि दूर बतावें, दूर की बात निरासी।
कहै कबीर सुनो भाई साधो, गुरु बिन भरम न जासी।

- कबीर

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